हिंदी प्रेमी डॉ मुल्ला आदम अली

हिंदी है उसकी शान, हिंदी है उसका मान, 

शब्दों में बसती है उसकी पहचान। 

हर वर्ण, हर स्वर में रचता है गीत, 

हिंदी से करता है वह असीम प्रीत। 

 

कभी तुलसी, कभी कबीर की वाणी, 

कभी प्रेमचंद की अमर कहानी। 

हिंदी है उसके दिल की धड़कन, 

उसके लिए यह भाषा नहीं, आराधन। 

 

दफ्तर में, घर में, मंचों पर बोले, 

हिंदी के दीप को हर दिल में खोले। 

भाषाओं के इस महासागर में, 

हिंदी प्रेमी बनता है दीपक धरती पर। 

 

उसे ना चिंता अंग्रेज़ी के चलन की, 

ना डर भाषा की बदलती धुन की। 

वो बस हिंदी में स्वाभिमान देखता है, 

हर शब्द में भारत का मान देखता है। 

 

– मृदुल भावों से समर्पित हिंदी को 


तारीख: 25.04.2025                                    डॉ मुल्ला आदम अली




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