जब चलते-चलते हमारे मंजिले-मुकाम बदल जाते हैं ,
जब याद कर पुराने सपने हम कशमकश में पड़ जाते हैं ,
जब हमारे आरज़ू, हमारे अरमां बदल जाते हैं ,
हम बदल जाते हैं जब हमारे समा बदल जाते हैं ।
जब तस्वीर देखकर यारों की याद उनके नामों को करते हैं ,
और फिर कुछ यादों में उलझकर मन ही मन हम हँसतें हैं ।
जब हमारे साथ, हमारे हमराज़ बदल जाए ,
हम बदल जाते हैं जब हमारे परवाज़ बदल जाते हैं ।
जब भरमाई सी बारिश की बूंदों पर हम, यादों की पुलिया बांधते हैं ,
जब रातों की रुनझुन में हम , तारों की राह ताकते हैं ,
जब हमारी बात, हमारे जज़्बात बदल जाते हैं,
हम बदल जाते हैं जब हमारे हालात बदल जाते हैं ।