'कौन जिएगा जिंदगी!' में एक की प्रश्नावली दूसरे से कभी नहीं मिलती !
जब भी सामने आता है सबसे कठिन प्रश्न , बस तभी कोई लाइफलाइन नहीं मिलती !
कभी पहला ही प्रश्न कठिन और कभी आखिर तक बस कोरी तुकबंदी ही चलती !
करोड़पति कब हो जाए खाक , इसका अंदाजा लगाने की कभी कोई सूरत नहीं निकलती !
फोन ए फ्रैंड जब करो तो फ्रैंड की आवाज़ ही हमें तब अपनी सी नहीं लगती !
और फ्लिप द क्वेश्चन में भी हर बार मनपसंद प्रश्न की कैटेगरी नहीं मिलती !
कभी मुश्किल प्रश्न की भी मिल जाती थाह , और अक्सर आसान प्रश्न पर जनता की राय भी गलत ही है निकलती !
खेल खिलाने वाला कोई हिंट भी नहीं देता, पता तब चलता है जब जिंदगी हाथ से है फिसलती !
ये खेल है जीवन का जहां , हर किसी को अगले ही पल की खबर नहीं मिलती !
लेकिन हार हो या हो जीत फिर भी भाग्यवान है वो जिसे इस जिंदगी की 'हाट सीट' पर खुशियां भरपूर हैं मिलती !