कविताओं के बीज

तूफानों से गुजरते हुए 

नहीं लिखी जाते हैं कविताएं, 

कविताएं जन्म लेती हैं, 

गहरी शांत समुंद्र की कोख में 

तूफानों द्वारा रोपे गए बीजों से। 

 

कोई उगती है नागफनी बन,

तो कोई महकता हुआ गुलाब, 

कोई लदी है मीठी यादों से, 

तो किसी में कड़वी यादें बेहिसाब। 

 

कुछ इन्हीं कविताओं में 

होते हैं किरदार हम-तुम जैसे, 

खुद में ही उलझे फंसे

कुछ और सुलझाएं भी कैसे। 

 

जिंदगी के तूफान की 

कविताएं बन गए हैं सब, 

हर किसी को यकीन है 

सबसे बेहतर वही है अब। 

 

हर किसी की आंखों में 

कैद है बेइंतेहा जुदा मंजर,

कोई क्या जाने किन आंधियों से 

रचा गया उसका अस्थि पंजर। 

 

फिर भला क्यों ना झलके 

मेरा संघर्ष मेरी कविताओं में,

मैं खुद के टुकड़े चुनती हूं 

गहरी समुद्र की कंदराओं में।

 

—डॉ॰ झुम्पा सरकार


तारीख: 03.11.2025                                    डॉ॰ झुम्पा सरकार मंडल




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