खुशियों का गांव


जाने चढ़ा किस दाँव
वह खुशियों का गांव
लहराती फ़सलें
अपनो के जुमले
खुशियों भरा गांव
नीम की छाओं
रात में अलाव
नदियों की नाव
गोरी का घूँघट
छनछनाता पनघट
कुंडी की खटखट
खेलते नटखट
बालकों का शोर
मदमस्त मोर
सोंधी सी माटी
चोखा और बाटी
हाटो पर रौनक
रतजगे की ढोलक
फूलों की महक
चिड़ियों की चहक
पतली पगडंडियाँ
चौपाल कि बतिया
बैलों की घंटी
वो ताबीज वो कंठी
रशीद का सलाम
गोपी की राम राम
जाने चढ़ा किस दाँव
वह खुशियों का गांव
कहा वह हरियाली
गांव की खुशहाली
वह सादगी का जीवन
बौर खिला उपवन
लुभावना लड़कपन
अल्लड़ सा यौवन
चूल्हे की रोटी
जरूरतें थी छोटी
जीना था सस्ता
सबसे था रिश्ता
नहीं था दिखावा
सादा था पहनावा
पर विकास की दौड़ में
तरक्की कि होड़ में
बदला हवा का बहाव
टूटा गांव का लगाव
चढ़ गया दाँव
वह खुशियों का गांव


तारीख: 06.04.2020                                    नीरज सक्सेना









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