क्या संभव है?


क्या संभव है? कि आसमान धरती का चुम्बन ले पाए।
क्या संभव है? कि दीवाना चकोर चंदा को पा जाए।
शामें हो जाती शून्य कभी यादों में खोए रह रहकर।
क्या संभव है? हम यादों को जब भी चाहें जी पाएँ।

क्या संभव है? हर इंसान की हर एक अभिलाषा पूरी हो।
क्या संभव है? दो प्रेमी की एक दूजे से न दूरी हो।
मजबूरी में अकुलाता है मन रोता भी है कभी कभी।
क्या संभव है? आजादी हो बस कभी नहीं मजबूरी हो।

क्या संभव है? हर एक इंसान हर एक इंसान से प्यार करे।
क्या संभव है? बनना प्राण किसी का जैसे कि बयार करे।
हर मानव की तासीर सदा परिलक्षित होती कर्मों से।
क्या संभव है? मानव अपने हर एक गुण का दीदार करे।

क्या संभव है? इठलाता यौवन खुद पर न गुमान करे।
क्या संभव है? क्रोध में भी मन हमेशा इत्मीनान करे।
इश्क में उलझन होती है जीना भी मुश्किल होता है।
क्या संभव है? मोहब्बत सबका जीना भी आसान करे।

क्या संभव है? भगवान को इंसान आसानी से ही पा जाएँ।
क्या संभव है? लहरें सागर की सौम्य कभी भी हो पाएँ।
आसमान रमणीय बड़ा ही लगता है इस धरती से।
क्या संभव है? कि आसमान में आशियाना बना पाएँ।

 


तारीख: 09.08.2017                                    विवेक सोनी









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