मंज़िल

मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल
है तू हीं मेरी जान और दिल
बस तुझको पाना है मुझको
हो चाहे जितनी भी मुश्किल
मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल
है तू हीं मेरी जान और दिल

भले दूर है तेरा बसेरा
या रास्ते में छाया अंधेरा
मुझे मगर यकीं है ख़ुद पर
कोई राह मिलेगी तुझसे जा कर
आज भले अंज़ान खड़ा हुँ
कल हो जाऊंगा तेरे क़ाबिल
मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल
है तू हीं मेरी जान और दिल

मैं हर पल जीया तेरे सपनों में
अब होना है तेरे अपनो में
चाहे जितनी कठिन डगर हो
लंबा चाहे जितना सफ़र हो
माना मेरी किश्ती है जर जर
नहीं दूर नज़र से मेरे साहिल
मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल
है तू हीं मेरी जान और दिल

हैं मुश्किलें तो हर कदम पर
हुँ गिर भी जाता ठोकर खा कर
लेकिन तेरी मोहब्बत साथ है मेरे
हर रात दिन और सांझ सवेरे
मेरे हर ख़्वाब और हर करम में
तू हीं बस तू हीं है शामिल
मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल
है तू हीं मेरी जान और दिल

राह में अपनी तन्हा हुँ मैं
तेरी जुस्तजू में पिनहां हुँ मैं
अभी मेरी नज़र से दूर ज़रा है
पर तू भी मेरे लिये खड़ा है
मुझे लगा लेगा तू दिल से
जब आ जाऊँगा तेरे मुक़ाबिल
मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल, मंज़िल
है तू हीं मेरी जान और दिल


तारीख: 20.10.2017                                    प्रमोद राजपुत









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