नींद से जागो

         ( रूप घनाक्षरी छन्द )

 

              नींद से जागो  

 

आश्चर्य अनोखा असमंजस में मेरा मन,

           अत्यधिक असत्य आह! आडम्बर अज़ीब।

अन्धे अन्धों को कहते कोरे कल्पित कथन,

                भावुक भव भरते अंधविश्वास अज़ीब।

अज्ञान आविर्भाव अन्धता का करता कहूँ,

               जन जागरण जगा सब सीखो तहज़ीब।

“मारुत” मत मानो मनमानी मतिमन्दों की,

          मनुष्य मन्त्रों से जन्मे आह! अज्ञान अज़ीब।।

 

 

 

 


तारीख: 09.06.2025                                    पवन कुमार "मारुत"




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