नेहरू और ओपेनहाइमर

जब भारत की पावन धरा ने

आकर्षित किया उस गहरे मन को 

जिसने रचा था विध्वंस का बीज

पर आत्मबोध से जलता अंतरतम।  

 

नेहरू थे शान्ति-उपासक

आधुनिकता के सृजन-विवेक

जब दुनिया थी शीत युद्ध में

हर मन में था परमाणु भय प्रचण्ड।  

 

न अमेरिका, न रूस का साथ

नेहरू ने चुनी अपनी राह

शान्ति, एकता का दीप जलाया

हथियारों को दूर भगाया।  

 

नियंत्रण हो परमाणु शक्ति पर

न हो विनाश, न फैले डर

ओपेनहाइमर भी थे सहमत

वैश्विक-शान्ति हेतु थे अति प्रतिबद्ध।  

 

नेहरू को भेजा पत्र गोपनीय 

शब्द थे उसमें अति गम्भीर 

न करना साझा वह पदार्थ

जो कर दे विश्व का संहार।  

 

दोनों थे एक चेतना के

मानवता के दिव्य दर्पण

आज भी उनकी बातें सत्य

दुनिया खोजे वही दर्शन।

 

~ प्रतीक झा 'ओप्पी'

इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 

kvpprateekjha@gmail.com


तारीख: 24.03.2025                                    प्रतीक झा




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