ज्यों अंधतमस चंदा साधे, ज्यूँ वायु सखा है अग्नि की
ज्यूँ कानन खोजें अंबर को, यूँ पायल मोरी सजनी की
कमल कलेवर सुधा उल्लासी, नयन प्रेम मद अविनाशी
करे रश्मि कुंदन, ज्योति कंचन, पायल मोरी सजनी की
पुष्प सूता, रक्तांग उषा, चपल यामिनी, सखी सांझ री
अबूझ पहेली, अंतरंग सहेली, पायल मोरी सजनी की
रुप मंजरी, स्वर कोकिला, खुद पर इतराती नदिया सी
प्रेम अलंकृत,मदमस्त गरल, है पायल मोरी सजनी की
पुलिन प्रतीर तर तीट किनारे, डोंगी अपन खिवैया संग
फिकी लहरन में शहद घोलती, पायल मोरी सजनी की
आज नयनजल, भयो गंगाजल, रतिनाथ भी रंक भयो
बाजे छनछन छनछन छनछन, पायल मोरी सजनी की