धरती माँ का कर्ज चुकाने को,
बढ़ाओ हाथ पेड़ लगाने को।
सृष्टि का आधार हैं ये पेड़,
सृष्टि का श्रृंगार हैं ये पेड़,
आगे आओ इन्हें बचाने को।
पर्यावरण का संतुलन इनसे,
आपदाओं का उन्मूलन इनसे,
सोचो जीवन सुखमय बनाने को।
धरती पर वर्षा को बुलाते हैं ये,
जल स्तर को ऊँचा उठाते हैं ये,
पेड़ लगाओ जल स्तर बढ़ाने को।
रोगों की दवा मिलती इनसे,
शुद्ध ताजी हवा मिलती इनसे,
पेड़ लगाओ प्रदूषण दूर भगाने को।
धरती को हर भरा बना दो एक बार,
सुलक्षणा की बातों पर करो विचार,
करती कविताई वो समझाने को।