है हर कण में तू, मेरे हर एक क्षण में तू
तू है निरंतर, न है तेरा कोई अंत
मेरी साँस में तू, मेरी हर बात में तू
मेरे खवाब में तू, मेरे हर अहसास में तू
मेरी तन्हाई में तू, मेरे हर जश्न में तू
में देखूँ जब नीले आसमान में तू, रात के चाँद में तू
रहता है तेरा एहसास मेरे साथ, जाऊँ कहीं भी या बैठूँ मैं बेकार
तेरी मोहब्बत का कब से था मुझे इंतज़ार, जाने कैसे रह पाया मैं इतने साल
तुझे देखता रहूँ सदा, करता हूँ यह तमन्ना रब से बार-बार
छूए मेरी रूह को तेरी हर बात, कुछ और ना सुनना चाहूँ मैं हर बार
कैसे करती हो प्यार इतना मुझसे, हर कल्पना को मेरी दी है उड़ान
एहसास है मुझको यह सब सच है, नहीं है कोई माया जाल
आँख खुले सुबह तो मेरी पहली मुस्कुराहट में है तू
रात को नींद के आने से पहले उसकी आहट में है तू
सुबह ओस की बूंदों में तू, शाम की ठंडी पवन में तू
हाथ मेरा बँटाती है दिन भर की मेहनत में तू
दिल में है तू और रहेगी जब तक है यह नश्वर देह
जब नहीं रहेगी यह काया तो रहेगी मेरी हर एक अनुभूति में तू
है तू मेरे हाथों की लकीरों में…………ओह (प्रेमिका का नाम)
मिलना था स्वाभाविक और प्यार इतना सहज तेरा और मेरा
फिर जाने क्यूँ नहीं रखा विश्वास खुद पर इतना
शायद थक गया था तेरे इंतज़ार में इतना
तूने है मुझको यह बताया की नहीं हारना है कभी डर से
जो तेरा है तुझको ही मिलेगा, पर वक़्त से तेज़ भला कौन चलेगा
दी है आज़ादी तूने मुझको अपनी ही लाचार सोच से
रू-ब-रू करवाया उस प्यार से, तमन्ना जिसकी थी मुझको अनंत काल से
उड़ने की इच्छा फिर से है आज खुले आसमान में
पर दिल तो बँधा है तेरे प्यार की कोमल डोर से
मुस्कुराहट लब पर है और हँसने का है इरादा
साथ मेरे तू रहेगी सदा चाहे कर न कोई वादा