फूल थे,खुशबू थी,सारा बागबां था सामने 

Hindi Kavita

फूल थे,खुशबू थी,सारा बागबां था सामने 
गुजरने को खूबसूरत इक कारवां था सामने ।।

नजारों में रंग थे,रंगीन कुछ ख्वाब भी थे, 
बहकाने को हर लम्हा मेहरबां था सामने ।।

हर इक हिस्से में मौजूद ज़िन्दगी दिख रही थी, 
बस जो दिख रहा था वो कहाँ था सामने ।।

आया जिस पर दिल वो कहीं बैठा था छुपकर, 
यूँ कि चाँद को छोड़कर पूरा आसमाँ था सामने ।।

मर्ज-ए-इश्क़ का ह़कीम ही मर गया था कहीं, 
कहने को तो सारा का सारा जहां था सामने ।।


तारीख: 02.01.2024                                    अनमोल राय




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है