सुबह

हर रोज की तरह यह रात भी निकल जाएगी
सुबह, नित रोज नए रंग के साथ आएगी.
नींद से ही रात का अभ्युदय
नींद से ही रात का पतन
यह निद्रा काल ही, स्वप्न काल बनकर
असंख्य परेशानियों से निजात दिलाती जाएगी
सुबह, नित रोज नए रंग के साथ आएगी.
जल्दी सो कर के जल्दी उठना
देर से सोकर भी जल्दी उठना
रोज की कहानी बन जाएगी
सुबह, नित रोज नए रंग के साथ आएगी.
जीवन क्या है, सांसों की एक माला
दिन और रात इसके मनके हैं
जपते रहो, जिंदगी आगे बढ़ती जाएगी
सुबह, नित रोज नए रंग के साथ आएगी.
शाम हंसी पर रात काली
दिन उजला,और सुबह सुहानी
अटूट श्रृंखला सी बनती जाएगी
सुबह, नित रोज नए रंग के साथ आएगी.
हर रोज की तरह यह रात भी निकल जाएगी
सुबह, नित रोज नए रंग के साथ आएगी.


तारीख: 08.10.2024                                    प्रतीक बिसारिया






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