प्रेम का आवेश

जय माँ शारदे !

कब तक दबा कर रखोगे प्रेम के आवेश को ,

दिल की सुनो न मानो दिमाग के आदेश को |

हसरतें दबा कर जीने का मतलब नहीं ,

मेरा तुझसे मिलन हुआ ये बेसबब नहीं ,

दिलों में प्रेम की चिंगारी को जलने दो ,

मिलन की आस को सीने में पलने दो ,

कब तक अनसुना करोगे प्रेम के सन्देश को |

ये प्रेम अवसर है अपने लिए जीने का ,

बिखरी जिंदगी को चाहत से सीने का ,

प्रेम हक़ है सब का ये कोई पाप नहीं ,

अपनी ख़ुशी ढूँढना ये अभिशाप नहीं ,

अब मत रोकना प्रेम में दिल के निवेश को |

जिंदगी पूरी जियो कुछ आधा ना रहे ,

दुनिया व रिश्ते ये प्रेम में बाधा ना रहें ,

सबके दिल पर प्रेम दस्तक नहीं देता ,

कोई  प्रेमी प्रेम को अन्तक नहीं देता ,

अपने दिल की कहो छोड़ दो पशोपेश को |

अपूर्व "आकर्षण "


तारीख: 08.02.2025                                    अपूर्व "आकर्षण "




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