जय माँ शारदे !
कब तक दबा कर रखोगे प्रेम के आवेश को ,
दिल की सुनो न मानो दिमाग के आदेश को |
हसरतें दबा कर जीने का मतलब नहीं ,
मेरा तुझसे मिलन हुआ ये बेसबब नहीं ,
दिलों में प्रेम की चिंगारी को जलने दो ,
मिलन की आस को सीने में पलने दो ,
कब तक अनसुना करोगे प्रेम के सन्देश को |
ये प्रेम अवसर है अपने लिए जीने का ,
बिखरी जिंदगी को चाहत से सीने का ,
प्रेम हक़ है सब का ये कोई पाप नहीं ,
अपनी ख़ुशी ढूँढना ये अभिशाप नहीं ,
अब मत रोकना प्रेम में दिल के निवेश को |
जिंदगी पूरी जियो कुछ आधा ना रहे ,
दुनिया व रिश्ते ये प्रेम में बाधा ना रहें ,
सबके दिल पर प्रेम दस्तक नहीं देता ,
कोई प्रेमी प्रेम को अन्तक नहीं देता ,
अपने दिल की कहो छोड़ दो पशोपेश को |
अपूर्व "आकर्षण "