तन्हा हूँ मैं

भीड़ से घिरा हूँ पर तन्हा हूँ मैं ,

चेहरे पर मुस्कराहट पर अकेला हूँ मैं,

 

सोती है जब दुनिया , तब जागता हूँ मैं ,

स्याह काली रात में आसमान निहारता हूँ मैं ,

 

अँधेरे से मुहब्बत , रौशनी से भागता हूँ मैं ,

धरती के इस रंगमंच पर अपना वज़ूद तलाशता हूँ मैं ,

 

छुप छुप कर कोने में कराहता हूँ मैं ,

जागती है दुनिया मुस्कुराता हूँ मैं ,

 

शांत रहकर ज़हर पी जाता हूँ मैं ,

बुरा हूँ न, कुछ नहीं बोल पाता हूँ मैं ||

 


तारीख: 13.03.2025                                    शीलव्रत पटेरिया




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