भीड़ से घिरा हूँ पर तन्हा हूँ मैं ,
चेहरे पर मुस्कराहट पर अकेला हूँ मैं,
सोती है जब दुनिया , तब जागता हूँ मैं ,
स्याह काली रात में आसमान निहारता हूँ मैं ,
अँधेरे से मुहब्बत , रौशनी से भागता हूँ मैं ,
धरती के इस रंगमंच पर अपना वज़ूद तलाशता हूँ मैं ,
छुप छुप कर कोने में कराहता हूँ मैं ,
जागती है दुनिया मुस्कुराता हूँ मैं ,
शांत रहकर ज़हर पी जाता हूँ मैं ,
बुरा हूँ न, कुछ नहीं बोल पाता हूँ मैं ||