तू गाय है
यह जुमला अक्सर सुनता हूँ
विचारों को अक्सर बुनता हूँ
क्या ये तारीफ के बोल हैं?
या मतलब में और कोई झोल है!
तू गाय है
और गाय हमारी माता है
बचपन से यही पढाया जाता है
गाय में समस्त देव बसते हैं
फिर गाय कहकर क्यों हंसते हैं?
तू गाय है
बचपन में भाई से सुना था
अपने गोरेपन पर बहुत गुमान हुआ था
श्याम रगं जो था उसका
चिढ़ा कर भैंस उसे कहा था
तू गाय है
जब प्रेमिका ने कहा कनखियों से देखकर
नजरें गड गई जमीन में झेंप कर
सरल चरित्र क्यों ईर्ष्या बने किसी की
माना चंचलता जरूरत है आशिकी की
तू गाय है
दोस्तों ने कहा था समझाते हुए
दुनियादारी की बातें बताते हुए
वो पहला मौका था जब मैं हुआ बौना
धिक्कार है मुझे और मेरा गाय होना!
तू गाय है
और वो गाय की हत्या करते हैं
यह कहकर कितने मारते मरते हैं
कहाँ है वो दैवी माँ रूपी गाय उनमें?
दरिंदे हैं वे, हो भले किसी धर्म के जन्में!
तू गाय है
परंतु वो भी भैंस हैं नहीं
धर्मभेद है पर रंगभेद है नहीं
जहाँ अच्छाई बसती है हर कोने में
गर्व रहेगा हमेशा एसी गाय होने में