"तुम आ न सके मेरे दिल के नगर ,
मेरा दिल तो तुम्हारा है ।।
'आज हमनें गलियों में पलकें बिछाई ।
याद तुझे कर कर के कविता सुनाई ।।
तुम आ न सके मेरे दिल के डगर ,
जहाँ इक घर हमारा है ।।
तुम आ न सके मेरे दिल के नगर ,
मेरा दिल तो तुम्हारा है ।।
हमनें तुम्हारें ख़्वाब कितने हैं पाले ।
निकलते नहीं दिल से कैसे निकाले ।।
तुम आ न सके मेरे ओ हम सफ़र ,
मेरा तू ही सहारा है ।।
तुम आ न सके मेरे दिल के नगर ,
मेरा दिल तो तुम्हारा है ।।
खोया है हमदम दुनिया में जबसे ।
बैठा हूँ आस में उसकी मैं तब से ।।
तुम आ न सके देखने इक नज़र ,
कोई है जो तुम्हारा है ।।
तुम आ न सके मेरे दिल के नगर ,
मेरा दिल तो तुम्हारा है ।।
तेरे बिना हर लम्हा कैसे बिताया ।
जाने कैसे कैसे गम को हमने उठाया ।।
तुम आ न सके मेरा लेने ख़बर,
तुम्हें कितना पुकारा है ।।
तुम आ न सके मेरे दिल के नगर ,
मेरा दिल तो तुम्हारा है ।।
दीपक आस का जलता रहा है ।
दिल में तेरा ख़्वाब पलता रहा है ।।
तुम आ न सके मुझे लगता था पर ,
कोई है जो हमारा है ।।
तुम आ न सके मेरे दिल के नगर ,
मेरा दिल तो तुम्हारा है ।।
तुम आ न सके मेरे दिल के नगर ,
मेरा दिल तो तुम्हारा है......