( मनहरण कवित्त छन्द )
(कविता)
उठ जाग मुसाफ़िर भोर भई
राजस्थान राज्य मेहनत में महान महा,
मेहनती मजबूत मनुष्य बसत है।
सब समुदाय साथ-साथ मिल-जुलकर,
सकल समाज श्रम कठोर करत है।
गुर्जर व मीणा महाबली मेहनतकश,
पशुपालन व कृषि का काम करत है।
रहन-सहन समान संस्कृति समान-सी,
कद-काठी डील-डौल समान धरत है।।
(01)
दोनों ही समाज कृषि काम करते सदा से,
रबी व खरीफ की फसल उपजाते हैं।
परम्परागत परिवार है अधिकतम,
कृषि-पशुपालन से कमाकर खाते हैं।
पैदावार सरसों की करते कार्तिक मास,
शीत भरी रात रखवाली में बिताते हैं।
काम करते कठोर कहलाते कर्मवीर,
कठिन परिश्रम पर पैसा कमाते हैं।।
(02)
घटना घटी सवाई माधोपुर में महान,
गंभीरा बरियारा में पंचायत जुडी़ थी।
गंभीरा गाँव मीणों का बरियारा गुर्जरों का,
दोनों सरसों की तूडी़ बेचे बात बडी़ थी।
तूड़ी नीलामी की आय से बनेगा बालाजी का,
भव्य मन्दिर गंभीरा बात कान पड़ी थी।
बरियारा बोला बनेगा बालक छात्रावास,
सहमति सबकी समाज शान बड़ी थी।।
(03)
विभिन्नता विचित्रता विचारों की अजीब है,
कहीं पाखण्ड प्रचार कहीं शिक्षा सजेगी।
गंभीरा ग्राम गर्त गिरेगा पाखण्ड कूप में,
जनता ढोंग ढकोसला ढलान गिरेगी।
बालक बरियारा के लिखेंगे-पढ़ेंगे पीढ़ी,
लायक बनेगी समाज स्थिति सुधरेगी।
एक ओर अखण्ड अपार आडम्बर-आग,
दूजी ओर जन-जागरण ज्योति जलेगी।।
(04)
मन्दिर बालाजी बनाकर बनोगे बाबाजी,
बरबादी बीस-बाईस लाख की करोगे।
पाहन पधराओगे पाछे प्राण प्रतिष्ठा पे,
लाखों लूटेंगे लुटेरे भ्रम भारी भरोगे।
प्रसार परदेशी पत्थर पूजा का करत,
आह!आदिवासी न तुम तरणी तरोगे।
शिक्षा-शेरनी का दूध पियो प्यारे प्रियतम,
पाखण्ड-पहेली परित्याग कब करोगे?
(05)
गुर्जर समाज मे जन-जागृति जगी जब,
शिक्षा-सहेली सबको संस्कार सिखाती है।
शिक्षा सहायक समता सभ्यता स्थापना में,
सहयोग सुज्ञान सेवाभाव सिखाती है।
शिक्षा से संवेदना सुहृदता सुभाव भरे,
सरलता सरसता सम्मान सिखाती है।
शिक्षा से सम्पूर्णता सम्पन्नता समाज आती,
शिक्षा साथी प्रगतिमय पंथ दिखाती है।।
(06)
मन्दिर बनाकर करोगे क्या कुछ हासिल,
मन्दिर में मीणाओं के क्या बालक पढ़ेंगे?
दे दान पाठशाला पावन बनाओ बालक,
पढ़-लिखकर लाल ज्ञान गुण गढ़ेंगे।
तूड़ी नीलामी के पैसे अस्पताल में दो दान,
दीन-दुखियों दरिद्रों की सेवा में लगेंगे।
बनाओ छात्रावास छात्रा-छात्र ले लेंगे लाभ,
पढ़-लिखकर विदुषी-विद्वान बनेंगे।।
(07)
दो दान दहेज नहीं, कन्यादान कभी करो,
दीन दुखी बेटियों का, परिणय कराओ।
मीणा मानो मेरा मत, समाज उन्नति हेतु,
गाँव समाज सुधार, समितियाँ बनाओ।
दान देकर दरिद्रों, दुखियों का दुख हरो,
निर्धन निराश्रितों का, सहारा बन जाओ।
समाजिक सहायता, समूह बनवाकर,
राष्ट्र प्रतिभा प्रगति, पथ पार कराओ।।
(08)
छात्रावास में विद्यार्थी विज्ञान विधि पढ़ेंगे,
वैज्ञानिक विचारधारा विकास करेंगे।
अंधविश्वास अरु आडम्बरता तजकर,
तारक तर्कशील ताकतवर बनेंगे।
शिक्षा अग्नि आलस्य अरु आडम्बर जलाती,
वे डॉक्टर कलक्टर प्रोफेसर बनेंगे।
शिक्षा श्रम सहकारिता समाज कल्याण की,
वन वस्त्र विभाग की नौकरियाँ करेंगे।।
(09)
रेलवे राजस्व पशुपालन पर्यावरण,
पुलिस पुरातत्व कृषि का कार्य करेंगे।
इंजीनियर वकील न्यायाधीश नौ-सैनिक,
सेना सांख्यिकी संग्रहालय सेवा करेंगे।
पाकर प्रशासनिक पद प्रशासन पाक,
पारदर्शी सुन्दर सुव्यवस्थित करेंगे।
देश दुनिया दरम्यान दिखाकर दक्षता,
सदा सकल समाज सुशोभित करेंगे।।
(10)
“मारक” मदारी मनगढंत कहानी कहे,
मानव मतिहीन महा गुलाम गिनाओ।
भाग्यवाद भ्रम भरमाकर भारी भारत,
नत निर्धन निराश्रित निकम्मा बनाओ।
गुर्जर समाज से सीखकर समझदारी,
ज्योति जागरण जलाकर जानो जनाओ।
मन-मन्दिर में हेरो हरि ताहि तुम भजो,
कहे कवि “मारुत” मत मन्दिर बनाओ।।