हर वक्त,
जो कुछ न कुछ
सिखाना चाहता है,
कभी रूला कर
कभी हंसा कर,
जो सत्य हैं
उसे दिखाना चाहता है,
वक्त कुछ कहना चाहता हैं।
गरीबी हो या अमीरी,
जो भी,सभी को
समझाना चाहता है,
कभी गिरा कर
कभी उठा कर,
जो सत्य हैं
उसे जताना चाहता है,
वक्त कुछ कहना चाहता हैं।
धर्म हो या कर्म,
जैसे भी हो सभी को
कभी पढा़ कर,
कभी समझा कर
जो सत्य हैं,
उसे अवगत करना चाहता है।
वक्त कुछ कहना चाहता हैं।।