हम कहते हैं —
बुद्धिवाद हो या अनुभववाद
दोनों बन जाएं एक-दूसरे के हमराज़
और फिर
कंधे से कंधा मिलाकर करें आक्रमण
परमाणु बम के पिता
ओपेनहाइमर पर।
तब
खुल जाएगी उनकी भी आँखें
सच्चा दार्शनिक कौन है?
कौन है वह
जिसके मन में
विचारों की धारा निरन्तर बहती है
मानो जलप्रपात की नादमयी गूँज।
जिसके चिन्तन में समाहित हो —
भौतिकी की गहराई
गणित की सूक्ष्मता
विज्ञान की जिज्ञासा
धर्म का मौन तप
नैतिकता की दृढ़ता
दर्शन की ऊँचाई
साहित्य का रस
और राजनीति की चेतना।
भला
ओपेनहाइमर के सिवा
ऐसा कौन हो सकता है —
जो केवल एक वैज्ञानिक नहीं
बल्कि युगों को विचार देने वाला
द्रष्टा
दार्शनिक
और मानवता का मार्गदर्शक हो?