यकीन नहीं हो रहा मुझे


सोचा नहीं था कभी मैं भी जिऊँगा किसी के लिए।
ज़िन्दगी भर रो लूँगा किसी की खुशी के लिए।
ऐसा लग रहा है मौत की आगोश में सो रहा हूँ।
यकीन नहीं हो रहा मुझे ..मैं रो रहा हूँ।

 

मजनू और राँझे की कहानी, अब साफ समझ आती है मुझे।
अपनी मोहब्बत से खफा नहीं हूँ, पर उसकी जुदाई बहोत सताती है मुझे।
ऐसा लग रहा है उसकी बंदगी में खुद को खो रहा हूँ।
यकीन नहीं हो रहा मुझे ..मैं रो रहा हूँ।

 

सारे जहाँ में सबसे ज्यादा मैं खुश था उस पल, जब उसका साथ मिला था मुझे।
उससे पहले भी मैं जी रहा था, पर दुनिया से शायद कोई गिला था मुझे।
उसके साथ के हर लम्हे को यादों की माला में पिरो रहा हूँ।
यकीन नहीं हो रहा मुझे ..मैं रो रहा हूँ।

 

सिर्फ इस जिंदगी में ही नहीं, मौत के बाद भी वो मेरी ही कहलाएगी।
शायद मेरी भी कहानी दीवानगी की किसी पाठशाला में सुनाई जायेगी।
अपने सपनों को उसकी यादों के साथ सँजो रहा हूँ।
यकीन नहीं हो रहा मुझे ..मैं रो रहा हूँ।

 

उसकी यादें थोड़ी सी धुंधली हैं, उसका चेहरा साफ नजर आता है मुझे।
उसका दुपट्टा भी बहोत प्यारा है, उसका सिरहाना भी बहोत रुलाता है मुझे।
उसके सपने मेरी आँखों में हैं, अनचाहे ही उसके अरमानों का हो रहा हूँ।
यकीन नहीं हो रहा मुझे ..मैं रो रहा हूँ।

 


तारीख: 09.08.2017                                    विवेक सोनी









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