ये फ़ैसला तुम्हारा है

अब तुम रुको या जाओ ये फ़ैसला तुम्हारा है
जो कभी लौट कर भी ना आओ फ़ैसला तुम्हारा है


हर राज़ हमारा हमने साझा किया था 
हँसी ख़ुशी आँसू दर्द सब आधा आधा किया था
किसी एक की आख़री शाम तक साथ हैं
ये हमने एक शाम वादा किया था 
अब तुम वो वादा निभाओ या ना निभाओ
ये फ़ैसला तुम्हारा है


अब तुम रुको या जाओ ये फ़ैसला तुम्हारा है
नहीं तुम्हारे बाद मैं आँसू नहीं बहाऊँगा
अभी बहुत कुछ है हँसूँगा हँसाऊँगा
शायद किसी शाम चाय पे हमारे क़िस्से सुनाऊँगा
 हाँ मगर तुम किसी को कुछ बताओ या ना बताओ 
ये फ़ैसला तुम्हारा है


अब तुम रुको या जाओ ये फ़ैसला तुम्हारा है
जो कभी लौट कर भी ना आओ 
ये फ़ैसला तुम्हारा है...


तारीख: 17.12.2017                                    राहुल तिवारी









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है