आओ कि कुछ देर खुलकर मुस्कुराएं
भूलकर बातें सारी पिछले पहरों की
माफकर गलतियां अपने अधरों की
रात की तिश्नगी में इक दिया जलाएं
आओ कि कुछ देर खुलकर मुस्कुराएं
आगे अभी बहुत घना है अँधेरा
साथ हम दोनों को ढूँढना है सवेरा
बरसने दो आज फिर उम्मीद की घटाएं
आओ कि कुछ देर खुलकर मुस्कुराएं
होता मुमकिन जो कुछ हम सोचते
मुश्किलों के समंदर हमें ना रोकते
चारो ओर होतीं खुशियों की सदाएं
आओ कि कुछ देर खुलकर मुस्कुराएं
काश मंजिलें खुद चलकर आतीं
राहों की बंदिशें हमें रोक ना पाती
बहती हर ओर विश्वास की हवाएं
आओ कि कुछ देर खुलकर मुस्कुराएं