आदिमानव असभ्य था या आज मानव है

कौन था असभ्य जिसने।
जिसने तन को ढकँने की कला सीखी।
या वो तन दिखाने को कला कहता है।

कौन था असभ्य जिसने।
रिश्ते निभाने की कला सीखी।
या वो जो मूर्ख बनाने को कला कहता है।

कौन था असभ्य जिसने।
मकान को घर बनाने की कला सीखी।
या वो जो घर तोडने को कला कहता है।

कौन था असभ्य जिसने।
मोहब्बत मे मरने की कला सीखी
या वो जो प्यार मे धोखे को कला कहता है।

कौन था असभ्य जिसने।
खाना खिलाने की कला सीखी।
या वो जो खाना छीनने को कला कहता है।

कौन था असभ्य जिसने।
इसांन बनने की कला सीखी ।
या वो जो शैतान बनने को कला कहता है।


तारीख: 22.06.2017                                    रामकृष्ण शर्मा बेचैन




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है