जिंदगी कई रंग दिखाती है
कभी आँखो में चमक तो कभी बरसात ले आती है
कभी रंगीनियों में डूब के भी दिल में खिज़ा से होता है तारउफ़
तो कभी सुनसान तन्हा रास्तों पे नूर बरसाती है,
पल पल बदलती है ये रगंत अपने रस्म ए इत्फ़ाकों से
कभी ज़लजले में जिंदगी तो कभी जिंदगी में ज़लजला ले आती है,
बेवफ़ा सी लगती है तू तुझ पे खुद को ज़ाया क्यों करूँ
खुदी में खोकर जाऊँ वहॉं जहॉं बस उसी की खुदाई ही नज़र आती है