अंबे जग जननी


हे नमों नमों माँ सिंह वाहिनी
हे नमों नमों अंबे जग जननी


माँ नवरात्रि में नौ रूपों से
कष्ट हरों माँ इस जीवन से


प्रथम रूप देवी शैल पुत्री का
अगम अगोचर मनभावन सा


द्वितीय रूप श्री ब्रह्मचारणी
रक्षा करती माँ दुःखनिवारिणी


चंद्रघंटा तृतीया रूप तिहारा
तिमिर हरे दमके जग सारा


माँ चतुर्थ रूप कुष्मांडा देवी
नित धरा सँवारे अंजित सेवी


पंचम स्कंद माता कहलायी
अम्बुजा रूप धरों जग माही


षष्टम कात्यानी रूप अग्रणी
मन भावन माँ कुमुद रुपणी


सप्तमं कालरात्रि विकट विशाला
दैत्यसंहार कर संकट हरने वाला


अष्टम रूप ममतामयी महागौरी
आँचल में भरती माँ भोली भोली


नवम सिद्धदात्री का रूप धरा
विषय विकार मिटा कष्ट हरा


नवरात्रि के पावन दिवसों में
दिव्य धरा करों अपने चरणों से


हे नमों नमों अम्बे सुख करनी
हे नमों नमों अम्बे दुःख हरनी
हे नमों नमों माँ सिंह वाहिनी
हे नमों नमों अंबे जग जननी 


तारीख: 06.04.2020                                    नीरज सक्सेना









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