जब-जब उठ के देखा
साथ मेरे तनहाइयां थी
लगा कोई साया सा साथ है
शायद मेरी परछाइयां थी
जीवन में चंद वो सुख के पल
वो मेरी अच्छाइयां थी
फटे हुए गरीबाँ में जब-जब झांक के देखा है
मेरी असफलताओं की कहानीयां थी
सब कुछ ख़त्म था
देने के लिए मेरे पास सिर्फ दुआएं थी