क्या यही अवसाद है,
क्या बात करूं
बात नहीं कुछ करने के लिए
हर बात सुनू
हां, हूं करने के लिए
समाप्त हुआ हास्य का बोध
गुमसुम रहूं हंसने की जगह
नहीं कोई हास्य,व्यंग्य सुनू
जोर से हंसने के लिए
सब दूर एकांत का वास है
कोई कोना ढूंढू, बसने के लिए
खुशियों से खुशी नहीं
दुखों से कोई दुख नहीं
कोई कारण ढूँढूं,
अपने आप में सिमटने के लिए
आसमानों मैं कोई जगह नहीं
पंख कटे परिंदों के लिए
सपाट निगाहें दूर तक देखती हैं
ऊंचे पेड़ों और आसमानों में
अपना वजूद देखने के लिए
अजीब सा खालीपन है
कोई काम नहीं करने के लिए
हां यही अवसाद है!