बापू


तुम भारत की पहचान बने
हे दांडी मार्च के अधिनायक
सत्य अहिंसा अमन शांति
तुम नमक आंदोलन के नायक
मातृ भूमि को स्वतन्त्र कराने
तुमने लंबी लड़ी लड़ाई थी
बापू सहर्ष स्वीकार देश को
तुमसे भी आज़ादी आयी थी
परन्तु अहिंसा और तुम्ही से
यह कदापि नही स्वीकार मुझे
क्योंकि भगत आज़ाद चंद्रशेखर
आज़ादी आयी नेता जी से
लाखों हजारों जिनके मुख पे
मेरा रंग दे बसंती नारा था
वे भी आज़ादी के कर्णधार थे
जिन ने गोरों को ललकारा था
ओढ़ कफ़न जो निकल पड़े
कतरा कतरा माटी पे वारा था
हाँ तुम भी आजादी के नायक थे
तेरा करों या मरों का नारा था
और चरखे से स्वदेशी का
हमहें संदेश तुम्हारा प्यारा था
पर बापू तेरी त्याग तपस्या पे
भारी एक ही कुकृत्य तुम्हारा था
जब भारत माँ की शान न प्यारी
तुमको जिन्ना प्यारा था
अखंड हिन्द का खंड किया
जो नाथू को नहीं गवाँरा था
अये सत्य अहिंसा अमन पुजारी
ये तेरा ही तो किस्सा था
लाहौर करांची रावलपिंडी
वो जो भारत माँ का हिस्सा था
क्यों तेरे एक इशारे पे बापू
चला बंटवारे का आरा था
तब लगता हैं
भारत माँ की शान न प्यारी
तुमको जिन्ना प्यारा था
बांट दिया दो हिस्सों में
जिस पर अधिकार हमारा था
आज तलक जो रूह कपा दें
वह सन 47 का नज़ारा था
बंटवारे की आग में बापू
ट्रेनों में लाखों लाशें आयी थी
कितनी ही हिन्दू बालाओं ने
अस्मत भी वहाँ गवाई थी
फिर भी जब तुम मौन रहे
तब एक आक्रोश जवां हुआ
नाथू की जलती क्रोधाग्नि से
बापू तेरी देह का दहन हुआ
यदि त्याग तपस्या की मूरत थे
तो दधीचि बन अस्थि दे देते
आजाद हिंद के अमरत्व हेतु
शपथ अखण्डता की ले लेते
पर अपनी अड़बाज़ी के आगे
कुछ सुनना कहाँ गवाँरा था
बंटवारे पर मुहर लगा कर तूने
जिन्ना का मकसद तारा था
माँ के आँचल का सौदा कर
तू असंख्य मनो को हारा था
काला इतिहास कोई और नहीं
वह जिन्ना संधि का बटवारा था
तब लगता हैं
भारत माँ की शान न प्यारी
तुमको जिन्ना प्यारा था
पूत कपूत तो कहना दूभर
किंतु मातृभूमी का मान तुम्ही ने हारा था
बस एक यहीं तो कारण था
जो जो नाथू को नहीं गवाँरा था
प्रतिशोध की अग्नि में जलके
वह कहलाया गांधी का हत्यारा था
कारण तुम थे हाँ तुम ही थे
क्योंकि तुमको जिन्ना प्यारा था
अंबे जग जननी
हे नमों नमों माँ सिंह वाहिनी
हे नमों नमों अंबे जग जननी
माँ नवरात्रि में नौ रूपों से
कष्ट हरों माँ इस जीवन से
प्रथम रूप देवी शैल पुत्री का
अगम अगोचर मनभावन सा
द्वितीय रूप श्री ब्रह्मचारणी
रक्षा करती माँ दुःखनिवारिणी
चंद्रघंटा तृतीया रूप तिहारा
तिमिर हरे दमके जग सारा
माँ चतुर्थ रूप कुष्मांडा देवी
नित धरा सँवारे अंजित सेवी
पंचम स्कंद माता कहलायी
अम्बुजा रूप धरों जग माही
षष्टम कात्यानी रूप अग्रणी
मन भावन माँ कुमुद रुपणी
सप्तमं कालरात्रि विकट विशाला
दैत्यसंहार कर संकट हरने वाला
अष्टम रूप ममतामयी महागौरी
आँचल में भरती माँ भोली भोली
नवम सिद्धदात्री का रूप धरा
विषय विकार मिटा कष्ट हरा
नवरात्रि के पावन दिवसों में
दिव्य धरा करों अपने चरणों से
हे नमों नमों अम्बे सुख करनी
हे नमों नमों अम्बे दुःख हरनी
हे नमों नमों माँ सिंह वाहिनी
हे नमों नमों अंबे जग जननी 
 


तारीख: 20.10.2019                                    नीरज सक्सेना









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