काट कर पेड़ अनगिनत, प्रकृति प्रेम का किया एलान।
लगाकर दो पौधे किसी कोने में, बन गया तू इन्सान।।
देस में थी चिड़ियां अनेक, गगन तक भरती थी उडान।
कुचल कर सारी चहक, क्यों हो गया तू हैरान।।
नष्ट कर के घरोंदों को, सजावट का ले आया सामान।
Birdhouse लटका कर दो चार, बन गया तू महान।।
आधुनिकता की दौड़ में, जंगल कर दिये सारे साफ।
मुट्ठी भर दाने डालकर, कब बन गया तू भगवान्।।
धुआं चहुँ ओर फैला कर, चढ़ा दिया सब को परवान।
Oxygen cylinder लगा कर, क्यों हो गया तू परेशान।
कंकरीट के जंगलों की, रोक दो अब तो रफ्तार।
हरी भरी धरा को, दोस्तों ना होने दो वीरान।।
लगा कर दो पौधे किसी कोने में, बन गया तू इन्सान ।।