पिता

स्नेह की मूरत,
त्याग की सूरत
विश्वास का घर,
खुशियों का दर,
सुख की बौछार,
धन की फुहार
परिवार की हिम्मत,
सबकी किस्मत
जिम्मेदारियों का सारथी,
संघर्षों के हल में महारथी
घर का स्वाभिमान
अपनों का मान
उम्मीदों के पांव,
बरगद की छांव,
धरती पर ईश्वर का रुप होता है पिता।


तारीख: 04.03.2024                                    रेखा पारंगी









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