बारिशें

 बारिशें खूब हुई है इस बार 
 बरसी किसकी छत पर हमें पता नहीं है
 आंखें थक चुकी थी इंतजार में 
 आज तक, वो मिला नहीं है 
 मजबूरियां मेरी, खुशियां किसी और की
 जाते हुए उसने मुझे, रोका नहीं है 
 दुखद है, देखना किसी और को जाते हुए
 हम कब रुखसत होंगे, पता नहीं है


तारीख: 14.10.2024                                    प्रतीक बिसारिया




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