बिन पूछे आती है तेरी याद
रात में, दिन में , बेवक्त आती है
सांसों में खुशबू बनकर खुल जाती है
होश भुला देती है तेरी याद है
बिन पूछे आती है तेरी याद
दिन में आती है रोशनी की तरह
रात में आती है चांदनी की तरह
मुझसे, मुझको भुला देती है तेरी याद
बिन पूछे आती है तेरी याद
हर आवाज में तुम सुनाई देती हो
आंखें बंद करता हुं तुम दिखाई देती हो
अंधेरी रात में जुगनू सी टिमटिमाती है तेरी याद
बिन पूछे आती है तेरी याद
मन के सागर में कमल सी खिलती है
तन्हाइयों में खामोशी सी मिलती है
दिल में धक धक करके धड़क जाती है तेरी याद
बिन पूछे आती है तेरी याद
हर वक्त याद आती है तेरी बात
हर वक्त तड़पाती है तेरी याद
काम-धाम के बीच में सताती है तेरी याद
बिन पूछे आती है तेरी याद
झरने का झर झर , नदियों का कल कल
ओस की आसमान से गिरती फुहार
हर कोई याद दिलाती है तेरी याद
बिन पूछे आती है तेरी याद
महफिल में होता हूं तो शराब सी झूमती है
अकेला होता हूं तो जेहन में घूमती है
अकेला होकर भी अकेला नहीं होने देती तेरी याद
बिन पूछे आती है तेरी याद
कभी गुस्सा होता हूं तो एक हंसी बन कर आती है
कभी उदास होता हूं तो एक खुशी बन कर आती है
हर स्थिति में मेरा साथ निभाती है तेरी याद
बिन पूछे आती है तेरी याद