आज खुद से गुफ्तगू करने को दिल करता है...
ख़ामोशी से तय की ज़िंदगी के सफर में,
उड़ने, चहचहकाने को दिल करता है....
बीस से चालीस की दौड़ तय कर ली मैंने,
अब कुछ समय ठहर जाने को दिल करता है....
कुछ मन का करूँ,
रंगो को बिखेरू,
या शब्दों का सृजन करूँ,
बस खुद में खो जाने को दिल करता है ...
आज मूक बधिर ना बन,
गुनगुनाने को दिल करता है...