दुआ

मुझपे मौला करम की नज़र कीजिए।
अब दुवाओं  मे  मेरी  असर कीजिए।।

मैं हकीकत  में  कितना  गुनहगार हूँ।
मुझपे नज़रे  इनायत  मगर  कीजिए।।

अब इधर कीजिए या उधर कीजिए।
तेरा  बंदा  हूँ  चाहे  जिधर  कीजिए।।

आसरा है फक़त  तेरा  ही बस मुझे।
रहम कुछ तो मेरे हाल पर कीजिए।।

रात ग़म की  अंधेरी  ये कटती नहीं।
जल्द इसकी ख़ुदाया सहर कीजिए।।

अब इधर कीजिए या उधर कीजिए।
तेरा  बंदा  हूँ  चाहे  जिधर  कीजिए।।

अर्ज इतनी है या  रब मुझे बख्श दे।
जब मरूँ खुल्द में मेरा घर कीजिए।।

है निज़ाम इस जहाँ का फ़ना होंगे सब।
आगे आसान मौला  सफ़र कीजिए।।

अब इधर कीजिए या उधर कीजिए।
तेरा  बंदा  हूँ  चाहे  जिधर  कीजिए।।


तारीख: 15.03.2024                                    निज़ाम- फतेहपुरी









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