सच्चा प्यार

अगर दिल को तोडना ही था, तो फिर हमसे प्यार क्यों किया

तुम्हे दूर जाना ही था हमसे, तो इश्क़ का फिर इज़हार क्यों किया

पता है मजबूरियां होगी तुम्हारी भी

जब मैंने पूछा कुछ ऐसा तमसे, बताना था इंकार क्यों किया

अगर दिल को तोडना ही था, तो फिर हमसे प्यार क्यों किया

तेरी वजह से बहुत जाम पिए है

चेहरे पे ख़ुशी और दिल में पत्थर रख कर जिए हैं

दुवा करूंगा हम फिर कभी मिल न पाए

बन जाये वो सूखे फूल जो कभी खिल न पाए

तुझे माफ़ करने की कोशिस हमेशा हर बार करता रहूंगा

सच ये भी है की, तेरी हाँ सुनने के लिए हर रोज मरता रहूंगा


तारीख: 14.04.2024                                    अंकित कुमार श्रीवास्तव









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