चर्चित होने का कोई शोक नहीं
गुमनाम हूं, कोई रोष नहीं
रास्ते याद हैं,
चलना मुझे आता है
हर दर्द से वाकिफ हूं
सहना मुझे आता है
खंडहर सा अतीत मेरा
महफिल मेरी सूनी सही
ये अकेलापन मुझे भाता है
ना खुशी है अब ना दर्द कोई
भावहीन है चेहरा मेरा
जब आईना देखा,
तो यह राज नजर आता है
ना प्रश्न है,ना कोई उत्तर है
जो भी आता है दिलासा देकर जाता है