हाँ, हुक्म है किसी का
लेकिन हाँ, हुक्म ये ज़रूर है कि
हवाओं को उड़ने से पहले
ये तो बताना होगा कि
उनकी मंशा क्या है, क्या है मकसद
इरादे क्या है और नीयत क्या है
और उड़ने की रफ़्तार या गति
कहीं इजाजत के उस पार तो नहीं
कहीं संदिग्ध प्रयोजन तो नहीं
हदें और दिशाएँ कहीं उसकी
सीमाओं से बाहर तो नहीं
हवाएँ उड़ सकती हैं बेख़ौफ़
अपनी रफ़्तार की सीमा में
हवायें छू सकती हैं वह हदें
जिनकी वह हकदार हैं
लेकिन ध्यान रहे कि हुआ अगर उल्लंघन
तय रफ़्तार, हदों, सीमाओं का
निश्चित मर्यादाओं व् दिशाओं का
हुयी है अगर अवहेलना
पूर्व-निर्धारित गरिमाओं का
परिभाषित नियम व् आचरण का और
गतिविधियाँ मँडरायें शक के दायरे में
तो फिर हुक्म है कि
पंख उसे कतरने होंगे और
अहसास कराना होगा
हवाओं को उसकी औकात का
ताकि फिर हिमाकत न करे
अपनी सरहदों को लांघने का