होली आ रही है
बड रही बेचैनी
पिय बिन कोई रंग मन भाये ना।
प्यार की छुअन भी
दे आग सी तपन मोहे
प्रेम रंग ओड़ कोई मुझको सताये ना।
रंगेगी जी भर के
आकर वो सपने में
रंग जाने दे कोई मुझको जगाये ना।
पागल किया है
मुझे इश्क के ज्वर ने
उसको बुलाये कोई वैध सें दिखाये ना।
कह दो रंग जाकर
बस समाने आ जाये वो
मीत कहकर "बेचैन" को बेशक बुलाये ना।