इश्क़ के कीड़े

इश्क़ के कीड़े मेरे दिल में कुलबुलाते रह गये
आशिक़ी के नुस्खे हमें,बस आजमाते रह गये ।
कहा था जिनको चाँद हमने, लगा उन्हें ग्रहण
हर पूर्णिमा मुझे छत पे यूहीं टहलाते रह गये ।
वादा करने में थे सनम सरकार से भी आगे
अक़्सर हमारी मुलाकातें वो टरकाते रह गये ।
टुट न जाये कनेक्शन कहीं लव-ए-इंटरनेट का
अपने फ़ोन में हमसे बैलेंस डलबाते रह गये ।
हम भी कहाँ एसे ही छोड़ने वाले थे उन्हें यारों
उनकी हरएक तस्वीर पे कैचीं चलाते रह गये ।


तारीख: 27.02.2024                                    अजय प्रसाद









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