इतना प्यार मुझे मत देना

इतना प्यार मुझे मत देना, कहीं पीर मैं भूल न जाऊँ।
और खुशी इतनी मत देना, नयन नीर को रोक न पाऊँ।।

दुख-सुख धूप छाँह हैं जैसे, पाहुन जैसा आना-जाना।
सुख की छाँव तभी तक अच्छी, दुख में भला लगे मुस्काना।।
चाहे आँखों में आँसू हों, लेकिन हर पल मैं मुस्काऊँ।

श्वेत-श्याम से इस जीवन में, सतरंगी न आस लगाना।
कब तक साथ कौन चलता है, एकाकी ही चलते जाना।।
कठिन डगर है इस जीवन की, ऐ मन! तुझको यह समझाऊँ।

दिशाहीन मैं कभी न होऊँ, हे ईश्वर! ऐसा वर देना।
संकट में भी धैर्य न छोड़ूँ, मुझमें वह साहस भर देना।।
काम न ऐसा मैं कर बैठूँ, जिससे जीवन भर पछताऊँ।
 


तारीख: 14.06.2017                                    डॉ. लवलेश दत्त






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