मत कर अब मेरी मौत की दुआएं
राख से जी उठने का हुनर मुझे आता है
मेरी खानाबदोशी का इम्तिहान ना ले
सड़क पर गुजर करना मुझे आता है
बेशक उजाड़ दो मेरा आशियाँ
खानाबदोश हूं, घर बदलना मुझे आता है
हजारों लिए होंगे इम्तिहान जिंदगी ने
हर बार सफल होने का हुनर मुझे आता है
न देखे कोई "मकीम" ऊंचें मकानों से मुझे
मेरी झोपडी में मुझे महल नज़र आता है
क्या सिखाओगे मुझे आग़ से खेलना
हर आग से वाकिफ हूं,जलना मुझे आता है
एक बार मरे तो क्या मरे
बार-बार मर के जीना मुझे आता है