खूबसूरत हो तुम

खूबसूरत हो तुम होती जैसे ग़ज़ल,
है ये चेहरा तुम्हारा के जैसे  कमल.

बातें  वो   तुम्हारी   सवाल   सी,
सुनकर   दिल   जाता  है  मचल.

तेरे अश्क  दे  जाते  हैं   सूकूं  परि,
भले तकिया रहता  हो  मेरा सजल.

राहत  मिलती  है तेरे  पास  आकर,
बैठा हो  परिंदा  जैसे  किसी सजल.    

महक   तुम्हारी    गुलाब    सी,
होंठ    पंखुड़ियों   सी   कोमल.

पास  हो   तुम  एहसास  करकर,
दिल में हो  जाती  है  नयी कवल.         

तुझपे  जहाँ  की  हर  सह  निसार,                     
कोई नही है जहाँ में  तुमसा फजल.


तारीख: 30.06.2017                                    देवांशु मौर्या









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