किस विधि ये दिन बदलेंगे
बिगड़े दिन कब बहुरेंगे
आशाओं के दीप जलेंगे
बिगड़े दिन इकदिन बहुरेंगे
नया सबेरा नई आशाएं
बीतेंगी बीती परिभाषाएं
पढ़ें लिखें की सार्थकता
डिग्रियों की उपयोगिता
कोई तो समझ बुलायेगा
रोज़गार हाथ मे आएगा
अशांत शांत हो जाएगा
हर युवा काम को पाएगा
सुबह सांझ की दौड़ भाग
निराशाओं की जलती आग
पढ़लिख के भी छला छला
पूछें मन क्यों पला बढ़ा
किस विधि ये दिन बदलेंगे
बिगड़े दिन कब बहुरेंगे
माँ मंदिर मंदिर द्वारे द्वारे
बहन नज़र को रोज़ उतारें
पत्नी बच्चों का धर्म निभाने
घर का इकलौता हाथ बंटाने
पिता की लाठी बन पाऊंगा
कब घर का हाथ बटाऊँगा
उम्र बढ़ी तो उम्मीद बढ़ी
किंतु चिंताओं की रही झड़ी
दुनियादारी व्यवहार तो दूर
दशा दुर्दशा जीवन मज़बूर
बेरोज़गारी का दाग न धुलता
आश्वासन संग काज़ न मिलता
सरकारों के हैं कोरे वादें
ढुलमुल नीति ठंडे इरादें
किस विधि ये दिन बदलेंगे
बिगड़े दिन कब बहुरेंगे????