लूँगा मैं अपनी मंज़िल तलाश

कोई रहे ना रहे,
इरादे साथ रहेंगे,
अकेली सुनसान राहों पर 
सितारें साथ चलेंगे । 

दिल नहीं हुआ अभी उदास,
मन नहीं हुआ अभी हताश,
राहें अँधेरी हैं मगर 
रौशनी की है मुझे तलाश । 
दिल नहीं हुआ अभी उदास। 


बुझी नहीं है अभी प्यास,
बाकी है जब तक साँस,
बँजर, बदरंग राहों पर 
लहरों/ बादलों की है मुझको तलाश । 
बुझी नहीं है अभी प्यास । 

चाहे ना हो किसी का साथ,
चाहे दिन हो या हो रात, 
पथराई खाकों में, मुरझाई आसों में,
लूँगा मैं अपनी मंज़िल तलाश । 
चाहे ना हो किसी का साथ। 


तारीख: 30.06.2017                                    जय कुमार मिश्रा









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है