माँ

असहनीय दर्द की अवस्था में
आंसू निकल पड़े थे
तब मुझे कोई याद आया
वह तुम थी मां......
आज मैं फिर उदास था
कोई नहीं अब मेरे पास था
तब मुझे कोई याद आया 
वह तुम थी मां.......
घोर निराशा के अवसरों पर
जब जब मैं मुस्कुराया
यह किसी की याद थी
वह तुम थी मां......
मां जब तक तुम साथ थी
कोई डर ना था
तुम्हारा साथ जब से छूटा है
भीड़ में वीरानी है
शब्दों में खामोशी है
रोया हूं जिसको याद कर
सूखी आंखों से ज़ार ज़ार
वह तुम थी मां...
तुम्हारे अंतिम दर्शन के बाद
मेरी अश्रु रहित आंखों में
जिसका रहा अक्स हर बार
वह तुम थी मां...


तारीख: 08.10.2024                                    प्रतीक बिसारिया






रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है


नीचे पढ़िए इस केटेगरी की और रचनायें