मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के

मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के अम्मी को रुलाना सीख गया
मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के घर को न जाना सीख गया
कुछ देर मैं साँसे लेता हूं कुछ देर मैं नज्में लिखता हूं
कुछ देर उन्हें मैं तकता हूं आँखों का चमकना सुनता हूं
मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के वो कलम उठाना सीख गया
मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के घर को न जाना सीख गया

बाईजी खाना पकाती थीं माली वो बाग़ सजाता था
कोने वाली गुमटी का वो शर्मा पान लगाता था
मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के दिल को बहलाना सीख गया
मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के घर को न जाना सीख गया

वो बारिश भी क्या आई थी आंधी की रात अनोखी थी
वो रोटी वहीँ पे रक्खी थी वो बच्ची वहीँ पे सोती थी
मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के गरीबों का फ़साना सीख गया
मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के घर को न जाना सीख गया

ये सारी बातें झूठी हैं सारे दिल के फ़साने हैं
ये सारी बातें कोरी हैं काग़ज पे लिक्खे बहाने हैं
मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के आँखें झुठलाना सीख गया
मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के घर को न जाना सीख गया

मैं तुझसे मुहब्बत में गिर के अम्मी को रुलाना सीख गया
मैं तुझसे मुहब्बत में......
 


तारीख: 20.06.2017                                    आयुष राय









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