मैं वफ़ाओं की नींद सोता अभी ना मुझे जगाओ

ओ दिलकश हसीना अब देर ना लगाओ
शबनमी उदास रातों पे कुदाल ना चलाओ

मैंने जड़ी खोज ली है जपना है नाम तेरा
अब यूँ आहें भर कर मेरी आस ना जगाओ

हो मुमकिन ये मुझको मैं देखूं तुझे जी भर
मैं इनकार-ए-इश्क़ परिंदा मुझको ना अभी उड़ाओ

तेरी गली का कोना मेरा घर बन गया है
दरीचे से झुक के मुझको यूँ हाथ ना बढ़ाओ

मुझको मौत क्यूँ मिले मेरे गुनाह ना कमकर
मैं वफ़ाओं की नींद सोता अभी ना मुझे जगाओ


तारीख: 20.06.2017                                                        आयुष राय






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