मन मेरा

एक और दिन
थका थका
घर बाहर
सब एक-सा
मन डूबता
पथ कुछ नया
अब नहीं सूझता
तुम आओ
एक बार फिर
कर दो हरा
रोक लो रफ्तार
समय की
थाम लो पतवार
घोलकर मिठास
मन हर्षित कर दो
भय से मुक्त कर दो
मन मेरा


तारीख: 06.04.2020                                    मनोज शर्मा




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